दामोदर जोशी ‘देवांशु’

दामोदर जोशी ‘देवांशु’ ( Damodar Joshi ‘Devanshu’)

(माताः श्रीमती पार्वती जोशी, पिताः श्री देवी दत्त जोशी )

जन्मतिथि : 8 दिसम्बर 1949

जन्म स्थान : तोली

पैतृक गाँव : तोली जिला : बागेश्वर

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 2 पुत्र, 2 पुत्रियाँ

शिक्षा : एम.ए.

प्राथमिक शिक्षा- प्राइमरी पाठशाला, तोली

जूनियर हाईस्कूल- ठांगा (बेरीनाग) जिला पिथौरागढ़

इण्टर- रा.इ.का. कपकोट

एम.ए.- रा. महाविद्यालय, अल्मोड़ा

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः मेरी कविता के स्वर बांज, बुरुंश के झुरमुटों में गायों के संग ग्वाला बन कर फूटे। मैं इण्टर का विद्यार्थी था, निराला जी से प्रभावित था परन्तु विद्रोही न बन सका क्योंकि व्यवसाय आड़े आता है।

प्रमुख उपलब्धियां : अध्यापन के साथ हिन्दी और कुमाउँनी में मौलिक सृजनात्मक अभिव्यक्ति की ओर उन्मुख। शैशवकालीन कुमाउँनी कविता संग्रह ‘कुदरत’, कुमाउँनी काव्य संग्रह ‘खाण’ (कुमाऊँ विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल) हिन्दी काव्य संग्रह (हेम रश्मि), कुमाउँनी विद्वानों के श्रेष्ठ गद्यों का संकलन ‘गद्यांजलि’ का संपादन, ‘किरमोई तराण’ (अल्मोड़ा में संकलित कविताएँ), एक कुमाउँनी और एक हिन्दी काव्य प्रकाशनाधीन। आकाशवाणी से विभिन्न लेख, कविताएँ, वार्ताएँ प्रसारित। शिक्षकों के संगठन में सक्रिय भागीदारी।

युवाओं के नाम संदेशः गांव-गांव में बिक रही शराब से युवा दूर रहें। तकनीकी शिक्षा की ओर उन्मुख हों ताकि नौकरी के लिए भटकना न पड़े। यहाँ के प्राकृतिक संसाधनों में रोजगार की असीम संभावनाएँ हैं। जड़ी-बूटी उत्पादन, चाय, खिलौना निर्माण, बिजली, डेरी, फल पट्टी, सब्जी उत्पादन तथा पर्यटन उद्योग में अपने लिए अवसर चुनें और इस ओर ध्यान देकर उत्तरांचल को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाएँ।

विशेषज्ञता : कुमाउँनी साहित्य, सृजन, अध्यापन।

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है.

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